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आज के हालात

 नदी में डूबते हुए आदमी 

ने पुल पर चलते हुए आदमी को 

आवाज़ लगायी "बचाओ बचाओ" पुल पर 

चलते आदमी ने निचे रस्सी फेकी और कहा 

आओ नदी में डूबता हुआ आदमी रस्सी नहीं 

पकड़ पा रहा था रो रो कर चिल्ला रहा था में

 मरना नहीं चाहता ज़िंदगी बड़ी मेहेंगी है 

कल ही तो मेरी एक कंपनी में नौकरी लगी है ..

 

 इतना सुनते ही पूल बराबर चलते आदमी ने 

अपनी रस्सी खीच ली और भागते भागते वो 

कंपनी में गया उसने वहां बताया की अभी 

अभी एक आदमी डूबकर मर गया है और 

तरह आपकी कंपनी में एक है जगह खाली कर गया है ... 

 

में बेरोजगार हूँ मुझे ले लो ..

रेसप्सनिस्ट बोली दोस्त तुमने देर कर दी, 

अब से कुछ देर पहले हमने एक आदमी को 

लगाया है जो उसे धक्का दे कर तुमसे पहले यहाँ आया है!


Ticket to Heaven - स्वर्ग जाने की टिकिट



सालो से स्वर्ग में मुक़दमा चल रहा था की


स्वर्ग में आने की टिकिट अब ईन्टरनेट पर भी मिलनी चाहिये
आज तक ये अधिकार सिर्फ मंदिर , मस्जिद , चर्च वालो कोही मिले हुए थे
धर्म के ठेकेदारोने बहोत ही हो हल्ला किया . उसने दलील में कहा की ऐसा हुआ तो हमारा धंधा
बंध हो जायेगा मगर हमारे वकील ने सामने दलील देते हुए कहा की समय के साथ बदलाव आना
जरुरी हे ऊपर से स्वर्ग की हालत भी खस्ता हे ये धर्म के ठेकेदारो सारा पैसा खा जाते हे

स्वर्ग में सदियो से रिनोवेसन नहीं भी नहीं हुआ

ईन्टरनेट के माध्यम से बुकिंग करे गे तो हिसाब भी पूरा मिलेगा
स्वर्ग की इनकम भी तेजीसे बढेगी और सुविधा भी बढेगी इस दलील पर हम ये मुक़दमा जित गए


मेरे पास स्वर्ग की टिकिट बेचने के अधिकार हे आप मेसे कोय भी खरीद सकता हे
जल्दी कीजीये मंदी की वजह से अभी 50% डिस्काउंट चल रहा हे ।
 
जब तक आपके भीतर  

लालच और डर  

बना रहेगा  तब तक स्वर्ग  जानेकी  टिकिट  बिकती रहेंगे 

HABIT - आदत


एक आदमी को सिगरेट पीने की आदत हे , उसे सारी दुनिया बुरा कहेती हे . दुसरे को माला फेर ने की आदत हे , उसे सारी दुनिया अच्छा कहेती हे . जो सिगरेट ना पिए तो मुसीबत मालूम पड़ती हे . जो माला फेर ताहे अगर न फेरने दो तो मुसीबत मालूम पड़ती हे दोनों गुलाम हे ।
एक को उठते ही सिगरेट चाहिए , दुसरे को उठते ही माला चाहिए माला वाले को माला न मिले तो माला की तलफ लगती हे अगर न फेरने दो तो मुसीबत मालूम पड़ती हे , दोनों गुलाम हे ।
एक को उठते ही सिगरेट चाहिए. एसे बुनियाद में बहोत फासला नहीं हे सिगरेट भी एक तरह का माला फेरना हे धुआं भीतर ले गए, बाहर ले गये ,भीतर ले गए, बाहर ले गये - मनके फिरा रहे हे ,बाहर ,भीतर . धुएं की माला हे . जरा सुक्ष्म हे . मोती के माला स्थुल हे . कोय आदत इसी नहो जाए की मालिक बन जाये . मालकियत बचाकर आदत का उपयोग कर लेना यही साधना हे मालकियत खो दी , और आदत सवार हो गई तो तुम यंत्रवत हो गए अब तुम्हारा जीवन मूर्च्छित हे ।

इसे लोग भी हे जो पूजा न करे रोज , तो बेचेनी लगती हे , उसे पुछो की पूजा करने से कुछ आनंद मिलता हे ? वो कहते हे , आनंद तो कुछ मिलता नहीं लेकिन न करे तो बेचेनी लगती हे
आदते बुरी होया भलि, इससे कोई भेद नहीं पड़ता जब आदते मालिक हो जाये तो बुरी हे .तुम मालिक रहो तो कोय आदत बुरी नही गुलामी बुरी हे मालकियत भली हे ।

संसार में कुछ भी बुरा नहीं हे स्वामित्व तुम्हारा हो तो संसार में सभी कुछ अच्छा हे स्वामित्व खो गया तुम गुलाम हो जाओ तो आदते बुरी हो या भलि, इससे कोई भेद नहीं पड़ता जब आदते मालिक हो जाये तो बुरी हे .तुम मालिक रहो तो कोय आदत बुरी नही गुलामी बुरी हे मालकियत भली हे जीवन में आदते जरुरी हे . बस इतना ध्यान रखना की आदत मालिक न हो जाये . स्वामित्व खो गया तुम गुलाम हो जाओ तो वह गुलामी चाहे कितनी ही कीमती हो , खतरनाक हे . हीरे - जवाहरात लगेहो जंजीरों पर तो उसको आभुषण मत समझ लेना वे खतरनाक हे वह महेगा सोदा हे ।

अपने को गंवाकर इस जगत में कमाने जेसा कुछ भी नहीं हे
.

स्व + भावः




एक आदमी ने बुध्ध के मुह पर थूक दिया
उन्होंने अपनी चादर से थूक पोंछ लिया
और उस आदमी से कहा , कुछ और कहेना हे ?
बुध्ध ने कहा , यह भी तेरा कुछ कहेना हे ,
वह में समज गया ; कुछ और कहेना हे ?
आनंद बुध्ध का शिष्य था , बहोत क्रोधित हो गया ,
वह कहें ने लगा , यह सीमा के बहार बात हो गयी

बुध्ध का चचेरा भाई था उसकी भुजाए फड़क उठी , उसने कहा बहोत हो गया
वह भूल ही गया के वो भिक्षु हे , सन्यासी हे बुध्ध ने कहा की उसने जो किया वो क्षम्य हे ।
तू जो कर रहा हे वो और भी खतनाक हे उसने कुछ किया नहीं सिर्फ़ कहा हे

कभी ऐसी घडियां होती हे जब तुम कुछ कहेना चाहते हो , लेकिन कह नहीं सकते
शब्द छोटे पड़ जाते हे . किसी को हम गले लगा लेते हे .कहेना चाहते थे , लेकिन इतना ही कहने से कुछ काम न चलता की मुझे बहोत प्रेम हे - वह बहुत साधारण मालूम पड़ता हे - तो गले लगा लेते हे
इस आदमी को क्रोध था वह गाली देना चाहता था लेकिन गाली इसको कोई मजबूत नहीं मिली
इसने थूक कर कहा . बात समज में आ गयीहम समज गए इसने क्या कहा अब इसमे झगडे की क्या बात हेउस आदमीसे बुध्ध ने पूछा आगे और कुछ कहे ना हे ॥?

वह आदमी शमिँदा हुआ . वह बुध्ध के चरणों में गिर पड़ा उसने कहा मुझे क्षमा कर दे .
में बड़ा अपराधी हुं और आज तक तो आपका प्रेम मुझ पर था , अब मेने अपने हाथ से गंवा दिया .
बुध्ध ने कहा की तू उसकी फिकर मत कर क्योकि में तुझे इसलिए थोड़े ही प्रेम करता था की मेरे ऊपर थूकता नहीं थामुजसे प्रेम वैसा ही हें जेसे की फुल खिलता हें और सुगंध बिखर जाती हें
अब दुश्मन पास से गुजरता हें उसे भी वह सुगंध से भर देगी वह खुद ही रुमाल लगा ले , बात अलग . मित्र निकल ताहे थोडी देर ठहर जाए फुल के पास और उनके आनंद में भागीदार हो जाए बात अलग कोई न निकले रास्ते से तो भी सुगंध बहेती रहेगी

क्योकि मेरा स्वभाव प्रेम हें

आप भी देखे आप का स्वभाव क्या हें

स्वभाव यानि स्व + भावः आप को क्या अच्छा लगता हें
प्रेम , शान्ती, करुना , लोभ , दया , लालच , ईषा , क्रोध ................
जेसा आप का स्वभाव होगा वेसी ही आप के आस पास सुगंध होगी



गाँव के नेताजी

एक आदमी ने गाँव के नेता जी को किसी बात पर सच्ची बात कह दी ।
कह दिया कि उल्लू के पटृठे हो!

अब नेताजी को उल्लू का पटृठा कहो तो नेता जी कुछ ऐसे ही नहीं छोड देगें।
उन्होनें अदालत मे मुकदमा मानहानि का चलाया।मुल्ला नसरुद्दीन नेता जी के पास ही खडा था तो उसको गवाही मे लिया ।

जिसने गाली दी थी नेताजी को , उसने मजिस्ट्रेट को कहा कि होटल में कम से कम पचास लोग ,जरुर मैने उल्लू का पटृठा शब्द का उपयोग किया है; लेकिन मैने किसी का नाम नही लिया । नेता जी कैसे सिध्ध कर सकते हैं कि मैने इन्ही को उल्लू का पटृठा कहा है।

नेता जी ने कहा : सिध्ध कर सकता हूँ। मेरे पास गवाह हैं। मुल्ला को खडा किया गया ।
मजिस्ट्रेट ने पूछा कि मुल्ला , तुम गवाही देते हो कि इस आदमी ने नेता जी को उल्लू का पटृठा कहा है! मजिस्ट्रेट ने कहा : तुम कैसे इतने निशिचत हो सकते हो? वहाँ तो पचास लोग मौजूद थे, इसने किसी का नाम तो लिया नहीं। नसरुद्दीन ने कहा : नाम लिया हो कि न लिया हो, पचास मौजूद हों कि पांच सौ मौजूद हों , मगर वहां उल्लू का पटृठा केवल एक था ।

वह नेता जी ही थे ! मै अपने बेटे की कसम खाकर कहता हूँ कि वहां कोई और दूसरा उल्लू का पटृठा था ही नहीं , यह कहता भी तो किसको ?

जुते की चाहना


जुते की चाहना

चाह नहीं मैं नेता मंत्री के
ऊपर फेंका जाऊँ,

चाह नहीं प्रेस कान्फ्रेंस में
किसी पत्रकार को ललचाऊँ,

चाह नहीं, किसी समस्या के लिए
हे हरि, किसी के काम आऊँ

चाह नहीं, मजनूं के सिर पर,
किसी लैला से वारा जाऊँ!

मुझे पहन कर वनमाली!
उस पथ चल देना तुम,
संसद पथ पर देस लूटने
जिस पथ जावें वीर अनेक।

(श्रद्धेय माखनलाल चतुर्वेदी की आत्मा से क्षमायाचना सहित,)

One Invention Change The World - हमारी दुनिया बदल दी एक हाथ से चलने वाले प्रिंटिंग प्रेस ने




अगर में आप से पुछु के पीछले 
1000 सालमे कोन से आविष्कार ने हमारी दुनिया बदल दी

आप कहेगे की बिजली , फोन ,या टेलीविजन
नहीं इन मेसे कोय भी नहीं


 
हमारी दुनिया बदलदी एक हाथ 
से चलने वाले प्रिंटिंग प्रेस ने 
 
ये आविष्कार तब हुवा था जब आप इस दुनिया में नहीं थे
आप के दादा भी नहीं थे उनके दादा भी नहीं थे
तो आप पूछे गे के आप को केसे पता चला
उनके प्रिंटिंग प्रेस के वजह से ही तो पता चला

ये बात हे 1400 साल में जन्मे जोहान Gutenberg की
उस समय सभी किताबे हाथो से लिखी जाती थी

1436 में जोहानिस Gutenberg नें अपने प्रेस में निर्माण शुरू किया
लकडी के ब्लॉक बनाये और हाथोसे प्रेस कर के प्रिंटिंग कर ता था
ब्लॉक पत्रों की तुलना में बेहतर थे

जोहान Gutenberg को पता नहीं था कि उसने क्या आविष्कार किया हे वो तो बिचारा 3 फ़रवरी, 1468 Mainz, जर्मनी में गरीबी में मर गया पर उनके आविष्कार ने पूरी दुनिया बदल दी

एक सदी से दूसरी सदी की जान कारिया हमारे पास पहुची किताबो से हम आज जो कुछ भी जानते हे सब किताबो में सग्रहीत था
विद्युत शक्ति के आविष्कारक थॉमस अल्वा एडीसन जन्म हुवा 11 फ़रवरी 1847 उसने भी किताबे से ही जानकारी हासिल की या रेडियो के आविष्कारक मारकोनी , फोन के आविष्कारक ग्राहम बेल , अल्बर्ट आइंस्टीन, 1921 सभी ने किताबो कि मदद ली ये सीखा कि नहीं आये थे

Johannes Gutenberg इतिहास सब से बड़ा आविष्कारक जो मरने तक गरीब रहा
उसे मेरा सलाम

Johannes Gutenberg ( johaan Gutenberg )
जन्म: c1400 Mainz, जर्मनी में
मौत: 3 फ़रवरी, 1468 Mainz, जर्मनी में
राष्ट्रीयता: जर्मन

अभाव के कारण


इजिप्त के राजा ने सुना की कोईँ आदमी अकेला रहेगा
सब तरह से स्वस्थ होगा फिर भी वह पागल हो जायेगा
तो राजा ने एक स्वस्थ युवक जो सब तरह सुखी था अकेले में रखा दिया

उस से कोईँ भी न मिल सके एसी व्यवस्था कर दी गए
उसकी सब सुविधा का ध्यान रखा जाता था
पर वो युवक दो तीन दिन बात बात पर बड़ा परेशान रहेने लगा
चिल्लाने लगा गुस्सा होने लगा


एक सप्ताह के बाद वो वहाँ पे रहेने को राजी हो गया
यानि के वो अब शांति से रहे ने लगा
और एक महीने के बाद वो युवक अपने आप से बाते कर ने लगा
पागल पन के कुछ लक्ष्ण दिखाय देने लगे
और तिन महीने बाद वो पागल हो गया


कोई भी आदमी अपने भीतर से बचने केलिए नशा करने लगता हे , भजन , कीर्तन करने लगता हे
माला फेरने लगता हे फिल्म ,टीवी , न्यूज़ पेपर इन सभी में
हम सारे लोग खुद को भुल ना चाहते हे .
भीतर की रिक्त ता को भुला देना चाहते हे
बड़ा पद , धन येसब अपने से बचने के बहाने हे

बहार की दोड़ भीतर की रिक्त ता को नहीं भर पाती
अभाव को भर के के लिए हम मित्र खोजते हे , सभा में जाते चाहे वो किसी की भी हो चुनावी , धार्मिक , जहा लोगो की भीड़ हो ताकि हम अपने से बच सके , संगीत सुनते हे , धर्म के नाम पर जगडें करते हे एतिहास में जितने युध्ध हुए वे सब दुसरे किसी कारण नहीं भीतर के अभाव के कारण हुए हे

जिंदगी के सारे प्रश्नों की जड़ ही अन्दर का अभाव हे
आप भी खुदके पास 30 मिनिट बैठ के देखे

नहीं बैठ पायेगे उब के भाग जाये गे
या फिर कोई बाहाना बना लेगे .........आज नहीं कल और कल कभी आता नहीं


हिटलर


जो असत्य बार बार प्रचलित किया जाता हे ।
वो सत्य प्रतीत होने लगता हे ...
हिटलर

हिटलर ने यही किया


किसी भी जुठ को बार बार दोहरा नेसे सच मालूम पड़ ने लगता हें ।

प्यास ( Receptivity )


एक गाँव में एक हजार के करीब बस्ती थी जहा से एक फ़कीर का निकलना हुआ
तो गाँव के एक आदमीने फ़कीर से पुछा की

आप लोगो को मंदिर के सबंध में सत्य के सबंध में समजाते हे
कितने ही लोगो को समजाया होगा मगर उस मेसे किसी को सत्य मिला , मोक्ष मिला .....?


फ़कीर ने कहा आप मुझे कल सुबह मिलने आना


वह सुबह फ़कीर से मिले गया । तो फ़कीर ने कहा तु गाँव में जाओ

और गाँव में सभी आदमियों की आकाँक्षा क्या हे वो जान के सूचि बनाकर लेआना
वह आदमी गाँव में गया और सब से पूछा की आपकी क्या इच्छा हे क्या
आकाँक्षा हे किसीने धन माँगा किसी ने पद , ज़मीन जायदाद , ........


वो आदमी सूचि बना कर फ़कीर के पास आया उसने फ़कीर को सूचि बताए
फ़कीर ने कहा इसमे से कोय भी सत्य नहीं चाह्ता तो में उसे नहीं दे सकता


में लोगो को पानी दे सकता हु प्यास नहीं

अगर आपके भीतर प्यास नहीं हे
तो कुवे पर भी हम खड़े हो जाये तो भी

पानी नही दिखेगा पानी उसे दिखाय देगा जो प्यासा हे


आप को क्या चाहीये सूचि में लिखवा दीजीये॥


आप कोभी मिलेगा पर प्यास ( Receptivity ) होनी जरुरी हे ।
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