
आज एक दोस्त के घर जाना हुआ दोस्त बहार गया था तो उसके इंतजार में उसके
दादाजी के पास बेठा बातो बातो में उसके दादाजी ने कहा की आप उपवास रखते हो मेने सोचा क्या बोलू हा या ना मगर मेरे कूछ बोलने से पहेले ही उसने कहा आज कल के लड़के कुछ भक्ति वाला काम नहीं करते वेसे भी मेरी ईमेज नास्तिको वाली हे अब दादाजी से में नहीं पुछ सका की आप उपवास का मतलब समज ते हे ।
मगर आप से जरुर पुछु गा की आप उपवास का मतलब समजते हे
उपवास का अर्थ होता हे अपने पास होना अपनी आत्मा के पास होना इसलिए जो व्यक्ति अपने पास होता हे उसे भूख कम लगती हे अपने पास होना याने आनंद में होना शरीर के पास होना याने दुख में हो ना दुखी आदमी अपने को भर ने की चेष्टा करता हे तो वह भोजन से भरेगा जब आनंद से भर जाओगे तो भूख का पता भी नहीं लगता याद भी नहीं आती बच्चे अक्सर खेलने में अपने पास होते हे उसे भोजन की याद भी नहीं आता
चित्रकर ईतना डूब जाता हे अपने चित्र में उसे भोजन की याद तक नहीं आती , संगीतकर डूब ता हे संगीत में , सायंटिस्ट डूब ता हे अपने प्रयोग में बुद्ध, महावीर , जीसस , महम्मद पैगम्बर , नानक , कबीर ,कृष्ण सबने पा लिया आपने आप को उतर गए उपवास में अपनी आत्मा के पास
मगर हमने उपवास का अलग मतलब ही नीकाल लिया हे
पंडित , पुरोहित , मोलवी , चर्च के फ़ाधर ने अपनी दुकान चलाने के रास्ते निकाले हे शायद
वो भी बेचारे क्या करे वो हे लकीर के फ़कीर उसे खुद भी पता नहीं वो क्या कह रहे हे
उपवास करना नहीं होता वो तो होता हे अपने आप
ब्लॉग में कभी मेरा भी उपवास हो जाता हे
सैकड़ों सालों से चले आए धार्मिक रीतिरिवाजों को हम तोड़-मरोड़कर अब इस्तेमाल कर रहे हैं। जरूरत है उपवास शब्द को सही तरह से समझा जाए और उसके बाद ही उपवास के बंधन में बंधा जाए।
ReplyDeleteउप+वास=उपवास; मतलब आराध्य के नजदीक रहना; उसको देखना उसको समझना उसके गुणों को जानना; उसके गुणों का चिंतन करना; गुणों को आत्मसात करना / अपने जीवन में सफलता के लिये जिस गुण की जरूरत हो उसे जानना समझना. उस गुण को आराध्य से माँगना. यही उपवास की प्रक्रिया है.
राजुभाई आपको पंडित और पुरोहित से ज्यादा ब्लॉगके टोपिक पे ध्यान देना चाहिए.