एक कुता झाड़ के निचे बेठा था सपना देख रहा था आखे बंद थी और बड़ा आनंदित हो रहा था और बड़ा डावाडोल हो रहा था मस्त था एक बिल्ली जो व्रुक्ष के ऊपर बेठी थी उसने कहा की मेरे भाई , जरुर कोई मजेदार धटना धट रही हे . क्या देख रहे हो ?
' सपना देख रहा था बाधा मत डाल ' कुत्ते ने कहा , सब ख़राब कर दिया बिच में बोलकर , बड़ा गजब का सपना आ रहा था एकदम हड्डिया बरस रही थी वर्षा की जगह हड्डिया बरस रही पानी नहीं गिर रहा था चारो तरफ हड्डिया ही हड्डिया !
बिल्ली ने कहा ' मुरख हे तू ! हमने भी शास्त्र पढ़े हे , पुरखो से सुना हे , की कभी कभी वर्षा में पानी नहीं गिरता , चूहे बरसते हे . लेकिन हड्डिया ? किसी शास्त्र में नहीं लिखा हे .
इसी बात पर दोनों की लडाय हो गई और आज तक पूरी नहीं हुई
कुतो के शास्त्र अलग , बिल्लीयो के शास्त्र अलग . सब शास्त्र हमारी वासनाओ के शास्त्र हे
आप भी सपने देखते हो ! .......
फिर लडाय भी होती हे तो फिर आप के शास्त्र अलग होगे
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