एक आदमी ने बुध्ध के मुह पर थूक दिया उन्होंने अपनी चादर से थूक पोंछ लिया
और उस आदमी से कहा , कुछ और कहेना हे ?
बुध्ध ने कहा , यह भी तेरा कुछ कहेना हे ,
वह में समज गया ; कुछ और कहेना हे ?
आनंद बुध्ध का शिष्य था , बहोत क्रोधित हो गया ,
वह कहें ने लगा , यह सीमा के बहार बात हो गयी
बुध्ध का चचेरा भाई था उसकी भुजाए फड़क उठी , उसने कहा बहोत हो गया
वह भूल ही गया के वो भिक्षु हे , सन्यासी हे बुध्ध ने कहा की उसने जो किया वो क्षम्य हे ।
तू जो कर रहा हे वो और भी खतनाक हे उसने कुछ किया नहीं सिर्फ़ कहा हे
कभी ऐसी घडियां होती हे जब तुम कुछ कहेना चाहते हो , लेकिन कह नहीं सकते
शब्द छोटे पड़ जाते हे . किसी को हम गले लगा लेते हे .कहेना चाहते थे , लेकिन इतना ही कहने से कुछ काम न चलता की मुझे बहोत प्रेम हे - वह बहुत साधारण मालूम पड़ता हे - तो गले लगा लेते हे
इस आदमी को क्रोध था वह गाली देना चाहता था लेकिन गाली इसको कोई मजबूत नहीं मिली
इसने थूक कर कहा . बात समज में आ गयीहम समज गए इसने क्या कहा अब इसमे झगडे की क्या बात हेउस आदमीसे बुध्ध ने पूछा आगे और कुछ कहे ना हे ॥?
वह आदमी शमिँदा हुआ . वह बुध्ध के चरणों में गिर पड़ा उसने कहा मुझे क्षमा कर दे .
में बड़ा अपराधी हुं और आज तक तो आपका प्रेम मुझ पर था , अब मेने अपने हाथ से गंवा दिया .
बुध्ध ने कहा की तू उसकी फिकर मत कर क्योकि में तुझे इसलिए थोड़े ही प्रेम करता था की मेरे ऊपर थूकता नहीं थामुजसे प्रेम वैसा ही हें जेसे की फुल खिलता हें और सुगंध बिखर जाती हें
अब दुश्मन पास से गुजरता हें उसे भी वह सुगंध से भर देगी वह खुद ही रुमाल लगा ले , बात अलग . मित्र निकल ताहे थोडी देर ठहर जाए फुल के पास और उनके आनंद में भागीदार हो जाए बात अलग कोई न निकले रास्ते से तो भी सुगंध बहेती रहेगी
क्योकि मेरा स्वभाव प्रेम हें
आप भी देखे आप का स्वभाव क्या हें
स्वभाव यानि स्व + भावः आप को क्या अच्छा लगता हें
प्रेम , शान्ती, करुना , लोभ , दया , लालच , ईषा , क्रोध ................
जेसा आप का स्वभाव होगा वेसी ही आप के आस पास सुगंध होगी